विक्रम बाजपेई, नईदुनिया, राजनांदगांव। गणेशोत्सव की झांकियां छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक 90 साल पुरानी गौरवशाली परंपरा है। "संस्कारधानी" के नाम से मशहूर इस शहर की झांकियां इतनी मशहूर हैं कि अब ये रायपुर के विसर्जन समारोह का भी एक अहम हिस्सा बन गई हैं। इस साल भी, छह सितंबर को पूरी रात राजनांदगांव में 34 मनमोहक झांकियां निकलेंगी, जिनमें से आधे से ज़्यादा झांकियां रायपुर की गणेश समितियों द्वारा पहले ही बुक कर ली गई हैं। इस साल की झांकियों में देशप्रेम, वीर जवानों और पौराणिक कथाओं के साथ-साथ 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसी अनूठी थीम भी देखने को मिलेगी, जो आकर्षण का केंद्र रहेगी।
यह परंपरा 1930 में शुरू हुई थी और 1970 में मूवमेंट वाली झांकियों की शुरुआत ने इसे और भी भव्य बना दिया। इस साल शहर में कुल 34 झांकियां निकलेंगी, जिनमें से करीब 15 झांकियां रायपुर की समितियों ने पहले ही बुक कर ली हैं। बस स्टैंड, बाल समाज, नवरतन मंडल, सुमति मंडल और महावीर मंडल जैसी कई प्रमुख समितियों की झांकियां इस साल रायपुर जाएंगी। इन झांकियों के लिए समितियों को दो से चार लाख रुपये तक मिलते हैं। हर साल इन झांकियों को अलग-अलग थीम पर तैयार किया जाता है। इनमें पौराणिक कथाओं, देशप्रेम और समसामयिक विषयों पर आधारित झांकियां शामिल होती हैं। ये झांकियां रात भर शहर के प्रमुख मार्गों से निकलती हैं और इन्हें देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
इन झांकियों को किराये पर ही दिया जाता है, इसलिए पूरी टीम, जिसमें तकनीशियन, वेल्डर और ड्राइवर शामिल होते हैं, झांकी के साथ रायपुर जाती है। करीब 20-30 लोगों की यह टीम झांकी के रखरखाव और संचालन की जिम्मेदारी संभालती है। कई झांकियों में रायपुर ले जाने के बाद थीम और डिजाइन में छोटे-मोटे बदलाव भी किए जाते हैं, ताकि वहां भी दर्शकों को कुछ नया देखने को मिले।
राजनांदगांव में भी कई समितियां रायपुर, दुर्ग और नागपुर से रेडिमेड झांकियां मंगाती है। कई मंडल ऐसा ही करते हैं। राजनांदगांव का सबसे पुराना मंडल बाल समाज है। इसने इस बार झांकी रायपुर से मंगाई है। यह 'आपरेशन सिंदूर' की थीम पर तैयार की गई है। बताया जा रहा है कि यहां के बाद रायपुर में इसमें लगाए गए जेट, एयरोड्रम को बदल दिया जाएगा, ताकि उसमें नयापन बना रहे। ऐसा ही कई झांकियों में भी किया जाता है। इससे रायपुर और राजनांदगांव शहरों के बीच कला और संस्कृति का यह आदान-प्रदान और भी मजबूत हो रहा है।
अविभाजित मध्यप्रदेश के जमाने से इंदौर के बाद राजनांदगांव की विसर्जन झांकिया पूरे देश में अपनी पहचान स्थापित कर चुकी हैं। जिस परंपरा की शुरुआत बैलगाड़ी से हुई थी, वह अब बड़ी और लंबी गाडि़यों में चलित मूर्तियों और लाखों के डीजे सेटअप के साथ महंगी लाईट्स की सजावट तक जा पहुंचा है। गणेश पर्व की विसर्जन झांकी की सिर्फ एक दिन की तैयारी में पूरे महीने का वक्त और करीब डेढ़ से दो करोड़ रुपये खर्च किए जाते हैं। ये झांकिया यहां से निकलकर रायपुर और दूसरे प्रदेशों में ले जाई जाती हैं। जहां दूसरे आयोजनों में इन्हें शामिल किया जाता है।
2024 में रायपुर की गणेश झांकी विसर्जन में कई झांकियां चर्चा में रहीं, जिनमें अलग-अलग थीम पर आधारित झांकियां शामिल थीं। श्री विनायक गणेशोत्सव समिति द्वारा कुंभकरण वध का एक अनोखा दृश्य प्रस्तुत किया गया था। लायंस क्लब गणेशोत्सव समिति ने प्राचीन भारतीय परंपरा अश्वमेघ यज्ञ पर आधारित झांकी तैयार की थी। इसके साथ वाराणसी की गंगा आरती, खाटू श्याम मंदिर, बरसाना की होली और अयोध्या में बने श्री राम मंदिर से संबंधित झांकियां भी दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय थीं।
इस वर्ष नगर में कुल 34 चलित झांकियां निकाली जाएंगी। ये झांकियां तीन प्रमुख मार्गों से मानव मंदिर चौक पहुंचेंगी। पहला मार्ग महावीर चौक से, दूसरा गुरुनानक चौक से और तीसरा दुर्गा चौक से तय किया गया है। मानव मंदिर चौक में सभी झांकियां एकत्रित होंगी और इसके बाद प्रशासन द्वारा तय बैच व रैंक के अनुसार आगे बढ़ेंगी। विसर्जन का मुख्य मार्ग गुरुद्वारा चौक, मानव मंदिर चौक, आजाद चौक , भारत माता चौक, कामठी लाइन, सुरजन गली, रामाधीन मार्ग, तिरंगा चौक और फिर गंज चौक होगा। इस दौरान यातायात की दिशा परिवर्तित की जाएगी और पार्किंग के लिए शहर में अलग-अलग स्थानों को चिह्नित किया गया है।
झांकियों के दौरान सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए 800 से अधिक अधिकारी और जवानों की तैनाती की गई है। इनमें 17 पैदल पेट्रोलिंग दल, 13 फिक्स पिकेट, जकर आउटर वाहन, पांच मोटरसाइकिल पार्टियां और चार एडी स्क्वाड शामिल हैं। खास बात यह कि भीड़ में सादी वर्दी में भी पुलिसकर्मी मौजूद रहेंगे। पिछली बार पुलिस ने इसी तरीके से कई बदमाशों को हथियार और आपत्तिजनक वस्तुओं के साथ गिरफ्तार किया था।
नगर में स्थापित इंटीग्रेटेड सीसीटीवी सर्विलांस सिस्टम ‘त्रिनेत्रम’ के जरिए झांकियों की पल-पल की गतिविधि पर कंट्रोल रूम से नजर रखी जाएगी। तीन जवान लगातार कैमरों की मदद से भीड़ और झांकियों की निगरानी करेंगे। कहीं भी संदिग्ध गतिविधि या गड़बड़ी नजर आते ही मैदानी अमले को तुरंत अलर्ट किया जाएगा। यह पहली बार है जब झांकियों की मानिटरिंग के लिए त्रिनेत्रम का उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा ड्रोन कैमरे भी झांकी रूट पर उड़ान भरेंगे।