एंटरटेनमेंट डेस्क, इंदौर। करीब तीन दशकों तक पुलिस सेवा देने वाले इंस्पेक्टर झेंडे, शोभराज की गिरफ्तारी के बाद पूरे देश में चर्चित हो गए थे। चार्ल्स शोभराज, जिसे उसकी चालाकी और अपराधों के चलते ‘द सर्पेंट’ कहा जाता था, कई देशों में डकैती, धोखाधड़ी और सीरियल किलिंग के मामलों में कुख्यात था।
पहली गिरफ्तारी ताज होटल से
हाल ही में यूट्यूब चैनल आवारा मुसाफिर से बातचीत में झेंडे ने बताया कि उनकी पहली मुठभेड़ 1971 में मुंबई में हुई। शोभराज ताज होटल में रुका था और उसके साथी अलग-अलग होटलों में। कई दिन तक निगरानी के बाद जब वह सूट पहनकर निकला तो झेंडे ने उसे गिरफ्तार कर लिया। उसके पास हथियार और होटल की रसीदें मिलीं, जिससे गिरोह के बाकी सदस्यों और भारी मात्रा में हथियारों का पता चला।
तिहाड़ जेल से भागने की कहानी
गिरफ्तारी के बाद भी शोभराज जेल से फरार हो गया। उसने अपने जन्मदिन पर अधिकारियों को नशीली मिठाई खिलाई और तिहाड़ जेल से निकल भागा। बाद में जब उसके भारत लौटने की खबर आई तो झेंडे को फिर से जिम्मेदारी मिली। छोटी टीम और सीमित संसाधनों के साथ वे गोवा पहुंचे और खोजबीन शुरू की।
गोवा में दूसरी गिरफ्तारी
झेंडे ने बताया कि आखिरकार उन्होंने शोभराज को एक कैफे में टोपी और डफल बैग के साथ देखा। पहचान पक्की होने पर उन्होंने तुरंत उसे पकड़ लिया। हथकड़ी न होने के कारण कैफे कर्मचारियों से रस्सियां मंगवाकर उसे बांधा गया।
शोभराज को पकड़कर बने सेलेब्रिटी
मुंबई लौटते समय झेंडे को डर था कि कहीं शोभराज फिर भाग न जाए, इसलिए उन्होंने अतिरिक्त पुलिसकर्मी भी साथ बैठाए। गिरफ्तारी के बाद झेंडे एक पुलिसकर्मी से सेलिब्रिटी बन गए। उन्हें राजीव गांधी, दिलीप कुमार जैसी हस्तियों से मिलने का मौका मिला और अमूल के विज्ञापन में भी नजर आए। लता मंगेशकर ने उन्हें घर बुलाकर बधाई दी। उन्हें इनाम स्वरूप 15,000 रुपये भी मिले, जिसे उन्होंने स्वीकार किया।
फिल्म बनाम हकीकत
फिल्मों में उनकी कहानी को दिखाया गया है, लेकिन उसमें कुछ चीजें बदली भी गईं। जैसे ताज होटल वाला अरेस्ट फिल्म में किसी ऑफिस में दिखाया गया और उसमें कॉमेडी का तड़का भी लगाया गया। झेंडे मानते हैं कि फिल्मों में थोड़ी क्रिएटिविटी जरूर होती है, भले ही कहानी असल घटना से प्रेरित क्यों न हो।