राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, भोपाल। जमीन और आवास की घर बैठे, फेसलेस और सुरक्षित रजिस्ट्री की सुविधा के साथ प्रारंभ किए गए संपदा 2.0 सॉफ्टवेयर के लगभग एक वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। इसके बाद भी इसमें कभी सर्वर डाउन, तो कभी ओटीपी नहीं आने की समस्या हो रही है। नामांतरण कराने में सबसे अधिक दिक्कत आ रही है।
कारण, एक खसरा के अलग-अलग भाग के सभी भूमि मालिकों को ओटीपी भेजकर सहमति ली जाती है। भले ही क्रेता ने किसी एक भाग को खरीदा है। ऐसे में सभी भूमि मालिकों को खोजना चुनौती है। किसी एक का भी ओटीपी नहीं मिलता, तो जमीन का नामांतरण नहीं हो पाता।
बता दें कि 10 अक्टूबर 2024 को भोपाल से मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने इस पोर्टल का शुभारंभ किया था। इसमें रजिस्ट्री के लिए गवाह लेकर जाने की भी आवश्यकता नहीं पड़ती।
'नईदुनिया' ने प्रदेश के 15 जिलों के संपत्ति खरीददारों, पटवारियों और स्टांप वेंडरों से बात की तो अलग-अलग तरह की परेशानियां सामने आईं। वेंडरों ने बताया कि सर्वर बंद होने की समस्या अप्रैल 2025 के बाद से नहीं आ रही है, पर अभी कई बार सर्वर धीमा होने से कहीं ओटीपी में आने में समय लग रहा है तो कहीं भुगतान में।
राजगढ़ - पटवारी द्वारा नामांतरण के लिए के लिए कई बार फाइल अपलोड नहीं हो पाती। पूरे जिले में यह समस्या है। नामांतरण में नाम परिवर्तन नहीं हो पाना बड़ी समस्या है। इसे लेकर 29 अगस्त क़ो जिलेभर के पटवारियों ने शासन के नाम ज्ञापन सौंपकर संपदा 2.0 पोर्टल में सुधार की मांग की थी।
गुना - पुराने संपदा पोर्टल में पहले जब भी रजिस्ट्री होती थी, तो तत्काल सूचना पटवारी के सिस्टम में पहुंच जाती थी। यहां पटवारी के क्लिक करते ही पी 2 (प्रपत्र जो संपत्ति के स्वामित्व परिवर्तन के लिए जरूरी है) जारी हो जाता था। संपदा 2.0 में सिस्टम को सूचना ही विलंब से मिल रही है। यदि नाम पर क्लिक भी कर दें, तो 10-15 दिन तक लंबित रहती है।
बैतूल - पटवारी संघ के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने बताया कि संपदा-2 पोर्टल पर रजिस्ट्री के बाद नामांतरण करने की प्रक्रिया को आनलाइन आगे बढ़ा देते हैं, लेकिन वह लंबित ही बताता है। वेब जीआइएस 02 पोर्टल की समस्या को दूर करने के लिए भी शासन से मांग भी की गई है। इससे नामांतरण ही नही बल्कि राजस्व विभाग के अन्य कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं।
यह समस्याएं भी
सर्वर से संबंधित समस्याएं अप्रैल तक थीं, पर अब कहीं दिक्कत नहीं है। ओटीपी तो ई-केवायसी के लिए जरूरी है, नहीं तो किसी की संपत्ति का कोई दुरुपयोग भी कर सकता है। नामांतरण से संबंधित काम राजस्व विभाग का है। ई-केवायसी का काम भी राजस्व विभाग केंद्र सरकार के निर्देश पर कर रहा है। - स्वप्नेश शर्मा, प्रभारी अधिकारी संपदा (वाणिज्यिक कर)