नईदुनिया प्रतिनिधि, खंडवा। सावन माह में नाग पंचमी पर देशभर में नाग देवता की पूजा होती है। वहीं, खंडवा जिले के छैगांव माखन जनपद पंचायत के ग्राम पछाया में राजपूत समाज इसे शोक दिवस के रूप में बरसों से मना रहा है। पंचमी पर मोहल्ले में कोई भी बाहरी व्यक्ति प्रवेश नहीं कर सकता है। राजपूत बाहुल्य इस गांव में नाग पंचमी पर शाम में स्नान कर लोग घरों में मिट्टी के नागदेवता बनाकर उनका पूजन करते है। यहां की मान्यता है कि सैकड़ों वर्षों पहले नाग के एक बच्चे को राजपूत परिवार ने सदस्य की तरह पाला था।
ग्रामीणों की मानें तो नाग पूरे घर में घूमता था, लेकिन कभी किसी को भी हानि नहीं पहुंचाई थी। इसी बीच नाग पंचमी के दिन भूलवश हुए एक हादसे में उस नाग की मृत्यु हो गई थी। तभी से यहां नाग पंचमी को शोक दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। यहां के ग्रामीण पूर्वजों की परंपरा को आज भी बखूबी निभा रहे है। यहां नाग देवता की समाधि बनाई गई है। आज भी नाग पंचमी के दिन गांव के मोहल्ले में बाहरी व्यक्ति का प्रवेश प्रतिबंधित है। गांव के लोग भी इस दिन कहीं बाहर नहीं जाते है। ग्राम के रामसिंह चौहान ने बताया कि शादी के बाद बेटी भी इस दिन दामाद या उसके बच्चे घर पर नहीं रह सकते है।
ग्रामीण कप्तान सिंह चौहान ने बताया कि गांव में आज तक किसी व्यक्ति की सर्पदंश से मृत्यु नहीं हुई है। इसका मुख्य कारण है कि ग्रामीण आज भी वर्षों पहले पूर्वजों द्वारा बनाई गई परंपरा को निभाते आ रहे है। साथ ही ग्रामीणों की नाग देवता में इतनी आस्था है, कि आज तक किसी ने भी कभी सांप को नहीं मारा है। गांव में कहीं सांप नजर भी आता है, तो उसका पूजन किया जाता है। आसपास के ग्रामीण भी पछाया की मान्यताओं का सम्मान करते है और पर्व के दिन उस गांव में नहीं जाते है।
यहां की शासकीय स्कूल में पदस्थ शिक्षक दिगपाल सिंह तंवर ने बताया कि 29 वर्षों से गांव में सेवाएं दे रहे है। यहां की मान्यताओं के अनुसार अगर नागपंचमी पर कोई बाहरी व्यक्ति उस विशेष मोहल्ले में प्रवेश करता है, तो स्वयं नाग देवता सामने आ जाते है। उन्होंने ये भी बताया कि यहां नाग को मारा नहीं जाता और इसीलिए कई बार स्कूल भवन में कोई सांप घुस जाता है तो उसे बाहर निकालने का प्रयास करते है और अगर वो बाहर नहीं जाता है तो बच्चों को बरामदे में बैठकर पढ़ाना पड़ता है। लेकिन ना तो सांप ने किसी ग्रामीण को कभी हानि पहुंचाई और ना ही ग्रामीणों ने कभी किसी सांप को नुकसान पहुंचाया है।
गांव में वर्षों से राजपूत समाज की मान्यताएं चली आ रही है। समाज पर्व को शोक दिवस के रूप में मनाते आ रहे है। आसपास के ग्रामीण भी उनकी इस आस्था का सम्मान करते है।
- गोपाल सूर्यवंशी, ग्राम रोजगार सहायक ग्राम पंचायत सोनूद
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