नईदुनिया प्रतिनिधि, खंडवा। सड़क पर दोपहिया वाहन चालकों के हादसों में अधिकांश मौत सिर की चोट से हो रही है। हादसों के आंकड़े देखें तो तीन चौथाई मामलों में सिर की गंभीर चोट से लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से हेलमेट अनिवार्य है, लेकिन इस बात का अहसास परिवार में सदस्य के साथ घटना होने के बाद पता चलता है। दुर्घटना में अपनों को खोने वाले कई लोग अब हादसे से सबक लेकर स्वयं हेलमेट पहनने के साथ ही दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं।
दुर्घटनाओं में शामिल दोपहिया वाहन चालकों में लगभग तीन चौथाई मौत दुर्घटना के दौरान सिर की चोट आने से होती हैं। विभिन्न सर्वे में स्पष्ट हो चुका है कि हेलमेट पहनने से सिर या मस्तिष्क की चोट का जोखिम लगभग दो-तिहाई या उससे भी ज्यादा कम हो जाता है। वाहन दुर्घटनाओं में बगैर हेलमेट के होने वाली मौतों पर नियंत्रण के लिए मोटर व्हीकल एक्ट में दोपहिया चालक के लिए हेलमेट अनिवार्य किया गया है। पुलिस द्वारा इस पर अमल के लिए समझाइश और चालानी कार्रवाई की जाती है।
जिले के ग्राम गोराड़िया में सरपंच मुकेश सावनेर के बेटे 22 वर्षीय आनंद की सड़क हादसे में मौत हो चुकी है। वाहन दुर्घटना के दौरान हेलमेट के अभाव में सिर में गंभीर चोट आने से यह हादसा हुआ। हेलमेट नहीं पहनने से कोई और हादसे का शिकार नहीं हो, इसके लिए सावनेर परिवार ने अनुकरणीय पहल की है। बेटे की तेरहवीं के कार्यक्रम में भोज न देते हुए लोगों को करीब 100 हेलमेट वितरित करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
ग्राम खिराला निवासी 38 वर्षीय लुकमान खत्री की भी 30 जून को सड़क हादसे में मृत्यु हो गई थी। लुकमान ने भी हेलमेट नहीं लगाया था और पीछे से आ रही तेज रफ्तार कार ने उसकी बाइक को इंदौर-ऐदलाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर रुस्तमपुर के पास पीछे से टक्कर मार दी थी। लुकमान को सिर और चेहरे पर गंभीर चोट लगी थी। घायल अवस्था में उन्हें जिला चिकित्सालय लाया गया, जहां चिकित्सकों द्वारा उसे मृत घोषित कर दिया गया था। पुत्र लुकमान की मृत्यु के सदमे में पिता मोहम्मद हनीफ बीमार हो गए और आखिर में लगभग डेढ़ माह बाद 26 जुलाई को पिता की भी मृत्यु हो गई। लुकमान के रिश्तेदार रफीक खत्री की मानें तो लुकमान ने हेलमेट लगाया होता तो दो माह में परिवार के दो लोगों का साथ नहीं छूटता।