डिजिटल डेस्क। ईद-ए-मिलाद-उन-नबी (Eid-e-Milad-un Nabi 2025) इस साल 4 या 5 सितंबर को मनाई जाएगी। तारीख का निर्धारण चांद दिखने पर होता है। यह दिन इस्लाम धर्म के पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब का जन्मदिन माना जाता है और इसे मुसलमान बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाते हैं।
इस दिन मुसलमान नए कपड़े पहनकर दिन की शुरुआत सुबह की नमाज़ से करते हैं। मस्जिदों और दरगाहों में विशेष इबादत का आयोजन होता है। कई जगहों पर बड़े जुलूस भी निकाले जाते हैं, जिन्हें रोशनी और फूलों से सजाया जाता है।
जुलूस और आयोजनों के दौरान पैगंबर साहब की शिक्षाओं, उनके धैर्य, दया और समाजसेवा के किस्से सुनाए जाते हैं। कुरान की आयतें पढ़ी जाती हैं और लोगों को उनकी सीखों को जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित किया जाता है।
ईद-ए-मिलाद पर गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। लोग जकात (दान) देते हैं, भूखों को खाना खिलाते हैं और सामुदायिक भाईचारे को मजबूत करते हैं। घरों और सार्वजनिक स्थलों को रोशनी व फूलों से सजाया जाता है।
ईद-ए-मिलाद सिर्फ जन्मदिन का उत्सव नहीं है, बल्कि पैगंबर मुहम्मद साहब की मानवता, सहिष्णुता और शांति के संदेशों को याद करने का अवसर है। यह दिन लोगों को प्रेम, भाईचारे और सेवा की भावना को अपनाने की प्रेरणा देता है।
इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने रबीउल अव्वल की 12वीं तारीख को हजरत मुहम्मद साहब का जन्म मक्का में हुआ था। साथ ही, माना जाता है कि इसी दिन उनका निधन भी हुआ था। इसलिए कई लोग इसे खुशी और गम का मिश्रित दिन मानते हैं। यह त्योहार मुख्य रूप से सूफी और बरेलवी समुदाय द्वारा विशेष रूप से मनाया जाता है।