यूपी डेस्क, नई दिल्ली। बरेली पुलिस ने एक ऐसे साइबर गिरोह का भंडाफोड़ किया है जिसके तार पाकिस्तान से जुड़े मिले हैं। गिरोह का सरगना मुशर्रफ अपने मोबाइल पर पाकिस्तानी नंबरों से चैट और कॉल करता था। खास बात यह है कि बातचीत लिखित संदेशों के बजाय वॉइस नोट्स के जरिए होती थी। पुलिस ने अब मेटा से इन नंबरों की विस्तृत जानकारी मांगी है।
प्रेमनगर पुलिस ने बुधवार को गैंग से जुड़े चार आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा। इनमें सरगना मुशर्रफ के साथ अब्दुल रज्जाक, निशांत श्रीवास्तव और शिवम गोश्वामी शामिल हैं। पूछताछ में पता चला कि गिरोह गरीबों, ठेलेवालों और रिक्शा चालकों के नाम पर खाते खुलवाता था और बदले में उन्हें मामूली रकम देता था।
मुशर्रफ के मोबाइल से मिली चैट में जम्मू-कश्मीर बैंक का खाता भी सामने आया है, जिससे हवाला कारोबार की आशंका गहरी हो गई है। पुलिस सर्विलांस टीम और मेटा से तकनीकी जांच कर रही है। वहीं गिरोह के फरार सदस्य हामिद, मोहित और जीशान की तलाश के लिए दो विशेष टीमें बनाई गई हैं।
गिरोह साइबर ठगों के पैसों को मनी ट्रेल में छुपाने के लिए इस्तेमाल करता था। रकम बरेली के खातों में ट्रांसफर होती और फिर मुशर्रफ उसे एटीएम से निकालता था। उसके बाद रकम का 20% कमीशन रखकर बाकी रकम संबंधित खातों में वापस भेज दी जाती थी। इस पूरे ट्रांसफर की वीडियो बनाई जाती और पाकिस्तान के नंबर पर भेजी जाती थी, ताकि लेन-देन की पुष्टि हो सके।
पुलिस का कहना है कि चैट +92 कोड वाले पाकिस्तानी नंबरों से हुई है, जो संभवतः इंटरनेट जनरेटेड हो सकते हैं। व्हाट्सऐप कॉल्स और चैट की गहन जांच जारी है। पुलिस हवाला एंगल और सीमा पार से हो रहे साइबर अपराध पर निगरानी बढ़ा रही है।
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