डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वैश्विक तनाव और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शुल्क नीतियों से उपजी अनिश्चितता के बीच चीन ने सैन्य और कूटनीतिक शक्ति का भव्य प्रदर्शन किया। द्वितीय विश्व युद्ध में जापान पर जीत की 80वीं वर्षगांठ पर बीजिंग के थ्येनआनमन चौक पर आयोजित परेड ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा।
करीब 70 मिनट चली इस परेड में 10,000 से अधिक सैनिकों, सैकड़ों टैंकों, बख्तरबंद वाहनों और 100 से ज्यादा विमानों ने हिस्सा लिया। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने पहली बार कई अत्याधुनिक हथियारों का प्रदर्शन किया, जिनमें हाइपरसोनिक मिसाइलें, लेजर सिस्टम और पांचवीं पीढ़ी के स्टेल्थ लड़ाकू विमान शामिल थे।
चीन ने इस अवसर पर डीएफ-5सी अंतरमहाद्वीपीय परमाणु मिसाइल पेश की, जिसकी मारक क्षमता 20,000 किमी है। इसके अलावा डीएफ-26डी मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (5000 किमी रेंज) और एलवाई-1 लेजर हथियार भी प्रदर्शित किए गए। यह लेजर दुश्मन के हथियारों और सेंसर को निष्क्रिय करने में सक्षम है। परेड में जे-20, जे-20ए, जे-20एस और जे-35ए जैसे पांचवीं पीढ़ी के स्टेल्थ जेट भी शामिल थे। दुनिया का पहला दो सीटों वाला स्टेल्थ जेट भी चीन ने इसी मंच से दुनिया के सामने रखा।
समारोह में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ समेत 26 देशों के नेता मौजूद रहे। भारत का प्रतिनिधित्व चीन में राजदूत प्रदीप कुमार रावत ने किया। हालांकि अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया और यूरोपीय संघ के नेता इस आयोजन से दूर रहे।
राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा कि दुनिया को शांति और युद्ध में से एक विकल्प चुनना होगा। उन्होंने साझा सुरक्षा और वैश्विक सहयोग को भविष्य की आवश्यकता बताया। इसी दौरान किम ने पुतिन को हर तरह की मदद का आश्वासन दिया और रूस के लिए लड़ने वाले अपने सैनिकों का उल्लेख किया। पुतिन ने यूक्रेन युद्ध में समर्थन के लिए किम का आभार भी जताया। इस परेड ने न केवल चीन की सैन्य क्षमता को उजागर किया, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन में उसकी बढ़ती भूमिका का भी स्पष्ट संकेत दिया।
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