एजेंसी, नई दिल्ली। अमेरिका की ट्रंप प्रशासन की शुल्क नीतियों से उपजी अनिश्चितता ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। इस पृष्ठभूमि में भारत ने अपने आर्थिक हितों को सुरक्षित करने की कोशिशें तेज कर दी हैं। इसी दिशा में बुधवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर और जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान डेविड वाडेफुल के बीच हुई मुलाकात बेहद महत्वपूर्ण रही।
बैठक का मुख्य फोकस द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग रहा। दोनों नेताओं ने भारत-जर्मनी व्यापार, जो वर्तमान में लगभग 50 अरब यूरो का है, को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया। साथ ही, जयशंकर ने यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर तेजी लाने के लिए जर्मनी के समर्थन का आग्रह किया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यदि जर्मन कंपनियों को भारत में किसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है तो उसे प्राथमिकता से सुलझाया जाएगा।
जर्मन विदेश मंत्री वाडेफुल ने भारत को वैश्विक व्यवस्था का एक निर्णायक भागीदार बताया। उन्होंने कहा कि भारत एशिया और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता कायम रखने में अहम भूमिका निभा रहा है। बैठक में यूक्रेन-रूस युद्ध, रूस पर यूरोप के प्रतिबंध, ऊर्जा सुरक्षा, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक सहयोग और सांस्कृतिक संबंधों पर भी चर्चा हुई।
सात प्रमुख मुद्दों पर बातचीत में रक्षा सहयोग खास रहा। पहले जर्मनी की ओर से सैन्य साजो-सामान निर्यात पर लगी पाबंदियां हटा ली गई हैं, जिससे भविष्य में संयुक्त रक्षा उत्पादन और टेक्नोलॉजी सहयोग के नए रास्ते खुलेंगे। वाडेफुल ने अपनी यात्रा के दौरान बेंगलुरु स्थित इसरो केंद्र का दौरा किया, जिसे दोनों देशों के बीच वैज्ञानिक व तकनीकी सहयोग को नई दिशा देने वाला कदम माना जा रहा है।
इस दौरान जयशंकर ने भारतीय मूल की चार वर्षीय बच्ची अरिहा शाह का मुद्दा भी मजबूती से उठाया। उन्होंने कहा कि बच्ची के सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा जरूरी है और उसे जल्द से जल्द भारतीय परिवेश में वापस लाना चाहिए। भारत और जर्मनी की यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव गहराता जा रहा है। दोनों देशों ने लोकतांत्रिक मूल्यों, वैश्विक शांति और पारस्परिक सहयोग को और मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई।
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